कल भी एक पल है
कल को सँवारने मे मैं कल मे उलझी रही
बीते कल मे आने वाले पल को खोजती रही
शिकायत रब से यह हर बार करती रही
क्यूँ घड़ी की सुई मेरे हिसाब से चलती नहीं|
मैं वक़्त को हराने की कोशिश जी जान से करती रही
हर हार के बदले एक नया मौका माँगती रही
लड़ी उस अंत घड़ी तक
जब तक मेरी साँसे मुझे अलविदा ना कह चली|
दोस्तों,
कल के इतिहास मे नया सवेरा लिखा नहीं जाता
करी हुई ग़लती पर अफ़सोस जता कर कुछ हासिल किया नहीं जाता
अगर मन मे चाँद छूने की आस जगाए बैठे हो
तो बैठे बैठे तो आसमान मे छेद किया नहीं जाता|
किसी महापुरुष ने कहा था कि
कौन कहता है आसमान मे छेद करना नामुमकिन है
तू तबीयत से एक पत्थर उछाल कर तो देख
उसी प्रकार
कौन कहता है क़िस्मत का खेल सिर्फ़ उसके (खुदा के) हाथ में है
तू अपने मन मे अगले पल को जी कर तो देख
तू अपनी क़िस्मत खुद बना लेगा
वक़्त को छोड़ खुद पर भरोसा करके तो देख |
सफ़र यह तेरा आसान नहीं होगा
सौ बार इसमे गिरना फिर उठना होगा
पर नामुमकिन जैसे शब्द को अपनी सीढ़ी मत बना बैठना
वरना यह सफ़र तेरा कभी पूरा नहीं होगा |
अगर परिस्थिति बदल ना सके तो उसे स्वीकार करना सीख जा
अपनी सफलता की नींव अपने पसीने से सींच जा
याद रखना
वक़्त किसी के लिए रुकता नहीं और किसी का एक जैसा रहता नहीं
वक़्त को छोड़ अभी तो तू खुद खुद को जानता नहीं
दूसरों को दोष देना बंद कर
अपनी ग़लतियों को सुधारना तू खुद चाहता नहीं
इसीलिए तुझे वक़्त चलाता है, तू खुद वक़्त को कभी चला पाता नहीं|
रिया शर्मा
Applauds… for your views…
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thank you nitin. 🙂
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Very nice. Living in the present instead of the past is better. I like the concept that we should not define the future by our past.
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Thank you sir 🙂
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Superrbb😊👌👌
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