नज़र नहीं नज़रिया चाहिए

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नज़र नहीं नज़रिया चाहिए

गुजर रही थी पड़ोस की गली से,

कुछ आवाज़ सी आ रही थी वर्मा जी की हवेली से

जाकर देखा तो उनकी बाई अपनी मालकिन से कुछ कह रही थी

अरे हाँ अगले महीने की पगार इसी महीने माँग रही थी|

 

जब मालकिन ने पूछा ऐसी क्या वजह आ पड़ी

तो वजह बताते बताते उसके चेहरे पर अंजानी सी खुशी झलक पड़ी

कहने लगी अपनी बेटी के घर जाऊंगी

अपनी नातीं को गोदी मे खिलाऊंगी

बस अगले महीने की पगार दे दो

मैं यह एहसान ता उम्र नहीं भूलाऊँगी

 

इतना सुनते ही मलिक वहाँ आ गये

उसकी बताई हुई वजह को कहानी बता गये

कहने लगे नहीं देना इसे पैसे अभी

हफ़्ते के अंत मे पिज़्ज़ा खाने चलेंगे  कहीं

 

फिर भी मालकिन ने उसे पैसे दे दिए

पैसा मिलते ही उसने मालकिन के पैर पकड़ लिए

बस एक ही बात की रट लगाई हुई थी

शुक्रिया कहने की गाथा उस बाई ने गाई हुई थी

 

कुछ दिन बाद…..

आज मैं फिर किसी बहाने वर्मा जी के घर आ गई

और मेरी नज़र उनकी बाई को ढूँढने मे लग गई

मैने देखा उनकी बाई आ चुकी थी

और सारे बर्तन भी धो चुकी थी

 

फिर मालकिन ने पूछा की क्या किया तूने उन पैसो का

अब देखिए शब्दो मे वर्णन पैसो के मोल का

चहेकते हुए बोली जो 1000 रूपई अपने दिए

वो मैने कुछ इस प्रकार खर्च कर दिए

 

200 रुपये से बेटी की साड़ी खरीदी

200 रुपये से जवाई जी की मिठाई की सामग्री खरीदी

40 रुपये की अपनी नाती के लिए टॉफी खरीदी

और 80 रुपयेकी टिकिट लेकर अपनी बेटी के घर पहुँची

 

मुझे देख मेरी बेटी खुशी से झूम उठी

मिठाई खाकर जवाई जी के चेहरे पे हसी की लहर दौड़ पड़ी

फिर एक दिन हम बाहर खाना खाने गये

वहाँ मैने 200 रुपये दिए

 

मेरी बेटी को मेरी दी हुई साड़ी बहुत पसंद आई

उसने तुरन्त उसे बनवाई और 2 दिन बाद वहीं  पहन कर मुझे विदाई देने आई

आते आते मैं 100 रुपये अपनी नाती  को दे आई

और फिर 80 रुपये का टिकेट खरीद वापस अपने घर को चली आई

 

मालकिन इन  रुपयों मे मैं ज़िंदगी जी आई

और यह 100 रुपये भी बचा लाई

यह देख मालकिन ने मलिक को बुलाया

और 900 रुपये का मतलब उन्हे भी समझाया

 

दोस्तो आज समझ आ गया

की जो 1000 रुपये हम सिर्फ़ पिज़्ज़ा खाने मे उड़ा देते है

वो ही 1000 किसी ज़रूरतमंद के लिए लाखो की खुशियाँ ला देते है

पैसे का असली महत्व आज समझ आया

एक बार फिर किसी किताब ने नहीं, किसी कीजीवनशैली ने मुझे यह सिखाया.

रिया शर्मा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

6 thoughts on “नज़र नहीं नज़रिया चाहिए

  1. MEENAKSHI GAUR says:

    खुशियों के पर नहीं होते
    दुआओं के लबज नहीं होते
    ये सब वो क्या जाने जिसके
    सीने में दिल 💘 नहीं होते।

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